“अंधेरों को बढ़ाया जा रहा है”
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मासूमों को फँसाया जा रहा है
मुजरिमों को बचाया जा रहा है
मिटाकर सबूतों को गुनाह के
मामला दबाया जा रहा है
परिंदा आखिर उड़ेगा कैसे
परों को कटाया जा रहा है
खैर मनायेगी कब तक अम्मा
बकरे को खूब खिलाया जा रहा है
साया भी ओझल होने को चला
अंधेरों को बढ़ाया जा रहा है
दस्तूरे दुनिया बदल गया “राणाजी”
झूठ को सच बताया जा रहा है
©ठाकुर प्रतापसिंह राणा
सनावद (मध्यप्रदेश)