अंधेरे में रोशनी
अपने साये को नज़र अंदाज़ मत कर
वो रहता है वक्त का हमराज़ बनकर।
ज्यों ज्यों रात गहराई आँख खुलती गयी,
दिन के करतबों की पोल खुलती गयी।
अंधेरा छा जाता है रोशनी का कभी ,
अंधेरे में रोशनी नज़र आती है कभी ।
अपने साये को नज़र अंदाज़ मत कर
वो रहता है वक्त का हमराज़ बनकर।
ज्यों ज्यों रात गहराई आँख खुलती गयी,
दिन के करतबों की पोल खुलती गयी।
अंधेरा छा जाता है रोशनी का कभी ,
अंधेरे में रोशनी नज़र आती है कभी ।