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27 Jul 2024 · 1 min read

अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।

अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
दुर्व्यवहार मन से हट जाए _
कैसे भी घटे _ पर भ्रष्ट आचरण घट जाए ।।
रास्ते सारे समरसता से पट जाए ।।
मैं मानव तुम मानव हम सब मानव _
हमारा तुम्हारा सबका मन बस यही रट जाए ।।
तभी तो जीने का आनंद है
राजेश व्यास अनुनय

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