अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
दुर्व्यवहार मन से हट जाए _
कैसे भी घटे _ पर भ्रष्ट आचरण घट जाए ।।
रास्ते सारे समरसता से पट जाए ।।
मैं मानव तुम मानव हम सब मानव _
हमारा तुम्हारा सबका मन बस यही रट जाए ।।
तभी तो जीने का आनंद है
राजेश व्यास अनुनय