अंधविश्वास
दोहा
युग वैज्ञानिक है भले, हुआ न जड़ता नाश।
बना हुआ है आज भी, वही अंधविश्वास।। 1
पढ़े-लिखे भी जा रहे, ढोंगी के दरबार।
चढ़ा रहे आशीष पर, दारू मुर्गा हार।। 2
अंधविश्वास ने किया, कितनों को बर्बाद।
व्यापारी इसके हुए, सदियों से आबाद।। 3
टोना टोटका नजर ये, अंधविश्वासी रोग।
होता रहता आज भी, इसका बहुत प्रयोग।। 4
मुक्त हुआ इससे नहीं, अपना अभी समाज।
अंधविश्वास है बना, कारण गलत रिवाज।। 5
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’