अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
काबिल कर खुद को, कर न गुमां खुद पर
चार दिन की जिन्दगी , राहे – इंसानियत पर कर निसार
कुदरत से खेलने की जुर्रत न कर , ये वो एटम बम है
जब फटेगा तो कर देगा सब कुछ तहस – नहस एक ही पल में
गिरफ्तार जो होना है तो हो , उस खुदा की इबादत में गिरफ्तार
यही वो मुकाम है जो तुझे तेरे होने का एहसास करा देगा तुझको
उस खुदा की निगाह में चश्म – ओ – चिराग हो जा
ये वो एहसास है जिसका कोई मोल नहीं
जिन्दगी की जंग यूं ही नहीं हारना है तुझको
कुछ उपवन है करने रोशन , कुछ आशियाँ हैं करने रोशन तुझको
नाउम्मीदी जिन्दगी को जहन्नुम बना देती है
जिन्दगी जिन्दगी नहीं रहती , बोझ हो जाती है
गुमराह नहीं होना है , तुझको राहे – इबादत से
खुद को करना है बुलंद , बना लेना है खुदा का शागिर्द