अंदर से काले
ऐसे भी देखे भोले भाले लोग
बाहर से उजले अंदर काले लोग
रोज़ी खुदा ने अपने हाथ रखी है
वरना छीनते फिरते निवाले लोग
इनके भी दम से जिन्दा है तहज़ीब
कहलाते हैं यह गांव वाले लोग
जज्बात से मेरे फिर खेल गए हैं
भोले बनकर, वो खेले-खाले लोग
कोई गिला नहीं हमको दुनिया से
खुद ही तो शौक से ऐसे पाले लोग