अंतिम फैसला
लोहे को बस लोहा काटे, फिर जहर से जहर को मरने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
जो बोया है वह काटोगे, यह कह दो कायर गद्दारों को,
छिप कर वार किया पाकी, मारा मुल्क के पहरेदारों को।
अब आँखों के आँसू मत पोछो, बदले की ज्वाला जलने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
घर के भेदिये, छुपे भेड़िये, संग आतंकीयो को साफ करो,
रोती बिलखती माँ की आँचल, राखी, सिन्दूर संग इंसाफ करो।
हाथ खोल दो शस्त्रों वाले, चुन चुन अंतिम फैसला करने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
कल को छुआ था दामन जिसने, आज वो बाजू काट गया,
सोच रहे हो अब भी क्या, दीमक घर की चौखट चाट गया।
अब गले पकड़ ले इससे पहले, जड़ से चिकित्सा करने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
जो कहते है, इन्हें भटके हुए, उनको भी रस्ते पर ले आएंगे,
मानवाधिकार वालो को चश्मा, हम दर्द का जब पहनाएंगे।
कूच न कर ले जन्नत को, तब तक दीदारे मौत का करने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
आत्मघाती हमले के एवज, अब सैनिकों को तैयार करो,
वह पुलवामा तक आ पहुँचे, तुम रावलपिंडी पर वार करो।
आवाम की अब है चाह पाक में, रक्त की दरिया बहने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
अब आंख के बदले आँख सही, अब सर के बदले सर होगा,
जब चिता जलेगी अपने घर में, तो जद में तेरा भी घर होगा।
अब तो केवल हुक्म करो, खड्ग, कृपाण, बन्दूक निकलने दो,
छोड़ो सियासती निंदा विंदा, अब सीने में गोली भरने दो।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १४/०२/२०१९)