सेकंड हनीमून
विद्युत विभाग में नौकरी लगने के बाद गाँव से लखनऊ आकर बसे वर्मा जी जिनके दो संतानें थीं – पहली बेटी,जो बड़ी थी और दूसरा बेटा, जो बेटी से उम्र में दो साल छोटा था। सन् 2016 में बेटी की शादी हो गई।वर्मा जी का दामाद जो कि एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में आस्ट्रेलिया में कार्यरत था, इसलिए बेटी अपने पति के साथ शादी के चार दिन बाद आस्ट्रेलिया चली गई। बेटा जो कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुका था उसे एक महीने बाद बंगलुरु में नौकरी मिल गई।वर्मा जी को इस बात की खुशी थी कि उनके दोनों बच्चे सेटल हो गए हैं ; साथ ही इस बात का दुख भी था कि अब घर में वे दोनों- पति-पत्नी ही हैं।
एक दिन अचानक कपूरथला चौराहे पर जाम में उनकी मुलाकात अपने बचपन के मित्र सुरेश से हो गई, जो कि एक ज़िंदादिल इंसान थे।
सुरेश ने नमस्कार करते हुए पूछा- और भाई वर्मा जी क्या हाल-चाल है? बच्चे क्या कर रहे हैं? वर्मा जी ने उदास और दुखी स्वर में बताया – शादी के बाद बेटी तो दामाद के साथ आस्ट्रेलिया चली गई है और बेटा अंकुर बंगलुरु में आई टी कंपनी में जाॅब कर रहा है। घर में तो बस मैं और तुम्हारी भाभी ही हैं।
सुरेश, जिसका एक ही लड़का था और वह फ्रांस में काम कर रहा था, ने मुस्कुराते हुए अपने दोस्त वर्मा जी से कहा- मतलब आपका भी मेरी तरह सेकेंड हनीमून शुरू। ज़िन्दगी के मज़े लीजिए मित्र!
डाॅ बिपिन पाण्डेय