अंतर दीप जले ?
अंतर दीप जले ?
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अंतर दीप जले जब मन में,
अंधियारा दूर करे जीवन में…
शुद्धभाव अवचेतन मन से ,
सूक्ष्मजगत के तार जुड़े हैं ।
जड़ चेतन,ब्रह्मांड जगत में,
घना अंधियारा दूर हुए हैं ।
अलौकिक ज्योति जले जीवन में…
अंतर दीप जले जब मन में,
अंधियारा दूर करे जीवन में…
हर प्राणी के जीवन की खुशबु ,
भाव अंजुरी में भर-भरकर ।
आत्मदीप जले जब अंदर,
जगमग दीप जले जीवन में।
कांटो भरे राह में ईश्वर,
खुशी के फूल खिलाते पथ में…
अंतर दीप जले जब मन में,
अंधियारा दूर करे जीवन में…
अद्भूत सामर्थ्य सुक्ष्म जगत में ,
मनुज नहीं जाने इस जग में ।
दया,करूणा सानिध्य में पल बढ़,
मन विहसित होता है क्षण में।
आत्मशक्ति जगाकर ईश्वर,
तत्वज्ञान सिखलाता मन में…
अंतर दीप जले जब मन में,
अंधियारा दूर करे जीवन में…
हिंसामग्न मानव इस तन में,
दानवरूप धरे जीवन में ।
धर्म कोई हो,या मजहब हो,
आतंक नहीं सिखलाता जग में।
दया,प्रेम और विचारशुद्धता,
धर्म सनातन दे जीवन में…
अंतर दीप जले जब मन में,
अंधियारा दूर करे जीवन में…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०२ /११ /२०२१
मोबाइल न. – 8757227201