Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2024 · 1 min read

अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा

अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा
कई दफा खुद पर यूँ ही है हंसा

लब्ज़ हार गया थक गया हालतों से
पर उतार न सका नशा वो अजीब सा

रूबरू हो कर आबरू से बे आबरू हो गये
फिर भी अपने जाल में खुद को ही है कसा

कब तलक खेलोगे अकेले खुद का ही खेल
जब लगना ही है जीत कर भी हार का ठसा

1 Like · 106 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" शौक "
Dr. Kishan tandon kranti
सब खो गए इधर-उधर अपनी तलाश में
सब खो गए इधर-उधर अपनी तलाश में
Shweta Soni
मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
Krishna Manshi
रूह की अभिलाषा🙏
रूह की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
sushil sarna
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
Arghyadeep Chakraborty
संकल्प
संकल्प
Vedha Singh
*रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित
*रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित
Ravi Prakash
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
संस्कारी लड़की
संस्कारी लड़की
Dr.Priya Soni Khare
Only attraction
Only attraction
Bidyadhar Mantry
#काव्यमय_शुभकामना
#काव्यमय_शुभकामना
*प्रणय*
न मुझको दग़ा देना
न मुझको दग़ा देना
Monika Arora
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
जय श्री राम
जय श्री राम
आर.एस. 'प्रीतम'
उसकी मर्ज़ी पे सर झुका लेना ,
उसकी मर्ज़ी पे सर झुका लेना ,
Dr fauzia Naseem shad
राम छोड़ ना कोई हमारे..
राम छोड़ ना कोई हमारे..
Vijay kumar Pandey
3055.*पूर्णिका*
3055.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Bundeli Doha-Anmane
Bundeli Doha-Anmane
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पटकथा
पटकथा
Mahender Singh
संवेदना
संवेदना
Ekta chitrangini
"तुम कब तक मुझे चाहोगे"
Ajit Kumar "Karn"
खाटू वाले मेरे श्याम भजन अरविंद भारद्वाज
खाटू वाले मेरे श्याम भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
कभी फुरसत मिले तो पिण्डवाड़ा तुम आवो
gurudeenverma198
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
ग्यारह होना
ग्यारह होना
Pankaj Bindas
Loading...