अंतर्घट
धीरे धीरे
आप अपने अंतर्मन की
पीड़ा पीते जाते हो
अंतर्घट भरने लगता है
फिर एक दिन
छलक उठता है
पीड़ा जब हद से ज़्यादा
हो जाती है
तो बहने लगती है
सारे बाँध तोड़ कर
अंतर्घट हल्का हो जाता है
धीरे धीरे
रेखांकन।रेखा
धीरे धीरे
आप अपने अंतर्मन की
पीड़ा पीते जाते हो
अंतर्घट भरने लगता है
फिर एक दिन
छलक उठता है
पीड़ा जब हद से ज़्यादा
हो जाती है
तो बहने लगती है
सारे बाँध तोड़ कर
अंतर्घट हल्का हो जाता है
धीरे धीरे
रेखांकन।रेखा