अंतरंग प्रेम
अब तक तो अपने दिल को मैंने
रखा है पूरी उम्मीदों से भर कर
जब कभी याद तुम्हारी आती है
तो नाम भी लेता हूॅं डर डर कर
यह सबसे छुप-छुपकर मिलने का
कब तक इस तरह चलेगा दौर
कहीं मैं देखता ही न रह जाऊं
तुम्हें लेकर चला जाए कोई और
खुलकर कैसे बतलाएं लोगों को
तुम्हारे बिन अब रह नहीं सकता
साथ जीने की बात तो छोड़ो
अकेले मर भी तो नहीं सकता
ऐसा हमने क्या कर दिया है जो
हो गया है हमसे बहुत बड़ा गुनाह
हमारे प्यार को क्यों लग गई है
सभी अपने लोगों की ही आह
कुछ भी नहीं होता है अगर तो
चलो मिलकर कहीं भाग चलेंगे
पकड़े जाने की बात होगी तो
दोनों साथ ही दरिया में डूब मरेंगे
पर यह सदा के लिए हो जाएगी
बिल्कुल कायरों जैसी बात
इससे हमारे निश्चल प्रेम पर
अकस्मात हो जाएगा आघात
चलो एक बार फिर कहीं से
करते हैं अपनी नई शुरुआत
डर डर कर अब अधिक नहीं
खुलकर रखते हैं अपनी बात
जो हो गया सो हो गया है अब
मुझे अभी भी पूरा है विश्वास
इससे नहीं टूटेगी फिर कभी
अपने अखंड प्यार की आस