Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

अंजुरी भर….

शहर में बारिश की छपाक
जैसे स्मृति के अरण्य में
कोई प्रणय- निवेदन की नाव
उतार दी हो किसी ने ।
बारिश का ताबीज़ पहन कर
खुद को बचा लिया जाएगा
किसी मृग मरीचिका की नज़र से
बारिश में कुछ धुलता नहीं
गहरा जाता है
कुछ पहेलियाँ आज हल हो जाएंगी
क्योंकि वक्त ने व्यवसाय करके
सौदेबाज़ी की है — बूँदों से
और अश्रु-राशियाँ श्वास भर रह गईं हैं ।
एकांत का रेशा बुनते-बुनते
मुस्कराहट की चादर को
तिरस्कृत कर जाती हैं, बारिशें।
बारिशें स्वयं भी गीलापन सहती हैं
जब भीगते पेड़ की पत्तियाँ
नाकामयाब होती हैं
नन्ही चिड़िया का घर बचाने में ।
बेरंग बूंदें बदहवासी में
खटखटाती हैं सूरज का किवाड़
कि खोल दे तो बना लेंगीं
बारिश का इत्मीनान
एक इंद्रधनुष !

Language: Hindi
80 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shally Vij
View all
You may also like:
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
Ajit Kumar "Karn"
कैसे कह दूँ ?
कैसे कह दूँ ?
Buddha Prakash
Exam Stress
Exam Stress
Tushar Jagawat
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
4050.💐 *पूर्णिका* 💐
4050.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
Rituraj shivem verma
क्यों नहीं आ रहे हो
क्यों नहीं आ रहे हो
surenderpal vaidya
खत्म हुआ है दिन का  फेरा
खत्म हुआ है दिन का फेरा
Dr Archana Gupta
इक ज़िंदगी मैंने गुजारी है
इक ज़िंदगी मैंने गुजारी है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
Ranjeet kumar patre
फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
फूल चेहरों की ...
फूल चेहरों की ...
Nazir Nazar
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
Rj Anand Prajapati
*अभिनंदन सौ बार है, तुलसी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*अभिनंदन सौ बार है, तुलसी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
भूल कर
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
पहले खंडहरों की दास्तान
पहले खंडहरों की दास्तान "शिलालेख" बताते थे। आने वाले कल में
*प्रणय*
अब नहीं पाना तुम्हें
अब नहीं पाना तुम्हें
Saraswati Bajpai
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक मायाजाल,समय का खेल, मन का ही कंट्र
बिलकुल सच है, व्यस्तता एक मायाजाल,समय का खेल, मन का ही कंट्र
पूर्वार्थ
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
Mahender Singh
करम के नांगर  ला भूत जोतय ।
करम के नांगर ला भूत जोतय ।
Lakhan Yadav
जो चाहते थे पा के भी तुम्हारा दिल खुशी नहीं।
जो चाहते थे पा के भी तुम्हारा दिल खुशी नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
आसमाँ .......
आसमाँ .......
sushil sarna
नशा नाश करके रहे
नशा नाश करके रहे
विनोद सिल्ला
https://j88tut.com
https://j88tut.com
j88tut
भूलना..
भूलना..
हिमांशु Kulshrestha
आक्रोश - कहानी
आक्रोश - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
You are the sanctuary of my soul.
You are the sanctuary of my soul.
Manisha Manjari
AE888 - TRANG CHỦ AE888 CHÍNH THỨC✔️ MOBILE
AE888 - TRANG CHỦ AE888 CHÍNH THỨC✔️ MOBILE
AE888
" तोहफा "
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
Loading...