अंजुमन में जो वो आए
आए है वो अंजुमन में चार चाँद लग गए
चिराग जो बुझे हुए थे वो भी हैं जल गए
उनके जिंदादिली की क्या मिशाल दें
चेहरे जो मायूस थे वो आते खिल गए
रौनक बहारा बन आए वो महफिल थे
मजलिस में जो आए चिराग जल गए
तारीफ क्या करें खिले हुस्न शवाब की
नैनों के कातिल वार से शिकार कर गए
खुदा कसम सनम बहुत लाजवाब थे
अदाओं से जिन्दा दिल हलाल कर गए
मोहब्बत बहारों की चली क्या बयार थी
देखते ही उन्हें आँखों में ख्वाब सज गए
चिलमन में ढका हुआ है चेहरा जनाब में
चिलमन जो हट जाए दिल अग्न लग गए
आए वो जो अंजुमन में चार चाँद लग गए
चिराग जो बुझे हुए थे वो भी हैं जल गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत