अंजाम-ऐ-मुहब्बत – डी के निवातिया
पी लेंगे मिले जहर अगर तेरे हाथों से,
टूटना भी मंजूर है मगर तेरे हाथों से !
!
अंजाम-ऐ-मुहब्बत है मंजूर ये भी हमे,
खा लेंगे खंजर-ऐ-जिगर तेरे हाथों से !!
***
@डी के निवातिया
पी लेंगे मिले जहर अगर तेरे हाथों से,
टूटना भी मंजूर है मगर तेरे हाथों से !
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अंजाम-ऐ-मुहब्बत है मंजूर ये भी हमे,
खा लेंगे खंजर-ऐ-जिगर तेरे हाथों से !!
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@डी के निवातिया