“अंजान जिंदगी.. जाने पहचाने लोग”
“अंजान जिंदगी ..जाने पहचाने लोग”
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गुजर गई जिंदगी बस यूँही सफर में .
मुसाफिर फिर भी अंजान है महेन्द्र ।
कौन हिंदू… कौन मुसलमान ,
ये तो पिटभर के नखरे है .
वरन् कौन पैदा चोटी रख .
तिलक लगा पैदा होता है ।
कौन का खतना .
कौन जटा से पैदा होता है ।
कौन क्रास कौन दाढ़ी संग आता है ।।
रंगमंच है जहां .
यहां सिर्फ महेन्द्र पैदा होता है ।।
Dr Mahender Singh