अंजना
सूर्य अपनी रश्मियों को समेटे डूब रहा है, • झमाझम बारिश हो रही है, हल्की हवा भी चल
रही है।
अंजना एक हाथ में भुट्टा और दूसरे हाथ की अंजुली में बारिश की बूंदों को समेट लेना चाह रही है।
भींग जाना चाह रही है पूरी की पूरी आसमानी बरसते फूलों की बारिश में ! उसे याद आने लगती है। उनके साथ बिताए वह खुशनुमा पल और डूब जाती है! वह अतीत के पन्नों में!
“कब आए ओम ?”
” अभी तो आया?”
ओम उसकी कॉलोनी के बगल के क्वार्टर में रहने वाला एक लड़का था। अंजना जिस रास्ते से कॉलेज जाती थी उसी रास्ते में उसका घर पड़ता था। वह अपने खिड़की से सटे टेबल पर कुछ न कुछ अंजना के लिए लिखता, जिसे पढ़कर वह सुर्ख गुलाब सी लाल हो जाती !
प्यार परवान चढ़ता गया आज कॉलेज से घर लौटते वक्त इतनी जोरों की बारिश होने लगी कि पूरे इलाके में पानी भर गया है।
अंजना परेशान सी किसी प्रकार अपने को छाते में बचाती आ रही थी, तभी रास्ते में ओम ने उसे पीछे से आवाज लगाई और अपनी गाड़ी में बैठकर चलने को कहा। अंजना ओम की गाड़ी में आगे की सीट पर बैठ जाती है। बारिश की अलसाई सुबह की तरह दोनों गाड़ी से घर आ जाते हैं !जाता है ! मौसम मानो सावन के बाद पत्झड़ का आगया हो ! दोनों अपने- अपने जीवन में मशगूल हो जाते हैं !
अंजना की शादी एक प्रतिष्ठित परिवार में एक अच्छी नौकरी वाले लड़के से कर दी जाती है ! अंजना अब दो बच्चों की मां है शशांक भी बहुत अच्छे पति हैं! आज शशांक ज्यादा व्यस्त हैं।
दिल्ली से इंस्पेक्शन के लिए उनके ऑफिस में टीम आने वाली है! शशांक की जल्द ही दिल्ली से आए उसकी उम्र के डायरेक्टर ओम से दोस्ती हो जाती है ! परिवार के बारे मैं पूछने पर अंजना का नाम सुनते ही उनको ऐसा लगता है मानो धरती को बारिश की पहली बूंद की तरावत मिली हो! शशांक उसे अपने घर बुलाते हैं, डिनर पर ! अंजना बड़े जतन से खाना बनाती है।
शशांक के हेड बॉस के लिए!! घर की घंटी बजती है, अंजना एक भारतीय सुहागिन नारी के वेश में दरवाजा खोलती है! सामने ओमको देख उसका मन हिलकोरे खाने लगता है, जैसे नाव हवा के तेज बहाव में बीच नदी में हिलकोरे मारने लगती है! अपनी सारी अनुभूतियों को अंदर दबाए वह ओम का स्वागत करती है, ओम भी बड़े आत्मीय तरीके से खाना खाता है और फिर शशांक और अंजना से विदा लेता है! रात आंखों आंखों में कट जाती है। अगले दिन अंजना की गाड़ी का बाजार जाते वक्त ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पर पैर पड़ने से बुरी तरह एक्सीडेंट हो जाता है और उसकी आंख में गाड़ी का शीशा चुभ जाता है उसकी आंखों का ऑपरेशन होता है और नेत्रदान करता है ओम!! जब तक अंजना को होश आता और वह कुछ समझ पाती, तब तक ओमकी चिता जल रही थी और वह उनकी आंखों से दुनिया के हसीन पल संजो रही थी,बरसात की बूंदों को अपनी अंजुली में भर रही थी ! चपरासी से एक बंद लिफाफा अंजना को मिलता है, उसके अंदर ओम का लिखा एक पत्र था, अंजना कांपते हाथों से पत्र खोलती है और पढ़ने लगती है! प्यारी अंजन, जब तुम इस पत्र को पढ़ रही होगी, तब मैं तुमसे बहुत दूर चला गया होऊंगा, एक दूसरी दुनिया में, पर मुझे संतोष है कि मैं तुम्हारी खूबसूरत आंखों में हमेशा बसा रहूंगा और तुम्हें महसूस करता रहूंगा सच ही तो है, अंजन सच्चे प्यार को कभी मंजिल नहीं मिलती और हां अगले जन्म में लेकिन तुम मेरी ही होना !! सदा खुश रहो तुम्हारा ओमी ! पत्र पढ़ते-पढ़ते अंजना बेहोश हो जाती है और जब उसकी आंख खुलती है तो वह अपने को शशांक की बाहों में पाती है, जो उसका सिर बड़े प्यार से सहला रहा था अंजना के उमड़ते जज्बात मानो सावन की झरी की तरह आंखों से बह रहे थे! आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादल कुछ अलग ही राग गा रहे थे! तभी शशांक की आवाज कानों में सुनाई पड़ती है, कहां खोई हो अंजन!