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6 Dec 2021 · 1 min read

अंगूठा छाप सबका बाप

अंगूठा छाप सबका बाप
*********************

राजनीति की देख लो छाप,
अंगूठा छाप सबका बाप।

तानाशाही हो जब भारी,
लोकतंत्र साबित अभिशाप।

नौकरशाही – भरष्टाचारी,
मोह-माया संग बढ़ता पाप।

धन – दौलत से भरते जेबें,
गरीबी-अमीरी कटती चाप।

जो नेता जनता को ठगता,
पीछे उनके दौड़ती खाप।

सियासत में होती हैं जोंकें,
जठर न भरता अपनेआप।

रहे चूसती लहू दिन रात,
प्रभु का करते हैं वो जाप।

मनसीरत है जो जनसेवक,
आस्तीन रखते काले सांप।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
311 Views
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