अंगदान
चूसता खून इन्सान इन्सान का
आज वो रूप रखता है शैतान का
डस रहा नाग बनकर तुझे रोज ही
क्यों भरोसा करो फिर से हैवान का
बन गया है जमीं का खुदा आज वो
डर नहीं है उसे अब तो भगवान का
जिन्दगी मुस्कुराती हमेशा रहे
आज भूखा रहूँ मैं तो सम्मान का
मान लेता कहीं बात माँ बाप की
फिर न भागी रहे तू किसी क्षमादान का
चाह दिल की न पूरी कभी हो सके
टूट जाये घरोंदा गर नादान का
एक दिन तू यहाँ से चला जायेगा
हो न इन्तजार तुझको तो फरमान का
फिर से जीवन सभी को दे पाओ कभी
ठान लो आज सब लोग रक्तदान का
मौत पूछे न तुझको कि ले जाऊँ कब
इसलिए प्रण करो आज अंगदान का