अंकुरित से रिश्ते
रिश्ते अंकुरित से होते हैं
कुछ जिंदा से भी रहते हैं
मुरझा जाते गलत फहमी में
यूँ बिखर अंहकार में जाते हैं
खुशियों का हर लम्हा तुम भी
आन्नद की घड़ियाँ जी लेते हैं
बिगडी बात संवर जाती है
महको, फनकार बहते ये हैं
बस इतनी सी हसरत दिल में
तेरे नाम की माला जपते हैं
पाने की कोशिश बहुत मगर
तू एक लकीर, हाथ नहीं मेरे हैं
तेरे सिवा कोई जज्बात नहीं
आंखों में नमी के आसूं बहते हैं
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा