अँखियों के झरोखे से
मन का गुलशन महक उठा
हवाओं के झोंके से ,
मुस्करा के जो देखा तुमने
अँखियों के झरोखे से l
इक ख़्वाब सा झूम उठा
मौसम के तराने पर ,
छा गया नशा सा कुछ
फिर सारे ज़माने पर ,
चेहरे पे भटक के जुल्फ़ों की
लटें आ गई धोख़े से ,
मुस्करा के जो देखा तुमने
अँखियों के झरोखे से l