” ———————————— अँखियों की रंगदारी ” !!
देखी अनदेखी कर लेते, अँखियों की रंगदारी !
खुशियों की हेराफरी है , अँखियों की रंगदारी !!
छिपा रही है नज़रें जिसको , दुनिया की नज़रों से !
चेहरे पर मुस्कान जगाती , अँखियों की रंगदारी !!
अपने और पराये तुलते , पलक तुला पर ऐसे !
गैरों की छंटनी कर देती , अंखियों की रंगदारी !!
किसे चढ़ाना किसे गिराना , भाव यहां लगते हैं !
पलकों का उठना गिरना भी, अँखियों की रंगदारी !!
अनुकंपा पर मिलते दर्शन , माया यों रच डाली !
लिए अनुग्रह सभी खड़े हैं , अँखियों की रंगदारी !!
देख तुम्हारी सज़ धज प्यारी , ऋतुएं रंग बरसाये !
नख़रे नाज़ लगे मनभावन , अँखियों की रंगदारी !!
जिस पर कृपा बरसनी बरसे , बैठे आस लगाये !
जहाँ ठहरना ठहरे नज़रें , अँखियों की रंगदारी !!
रूप सजा है रंगत निखरी ,काया है लहराती !
किसके बलिहारी जाना है , अँखियों की रंगदारी !!
बृज व्यास