■ शब्दों संसार
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■ रोचक सा विश्लेषण
■ मनोरंजक सा खेल
【प्रणय प्रभात】
शब्दों का अपना एक अलग संसार है। तमाम शब्द एक समान अर्थ के बाद भी अपने मायने बदल सा लेते हैं। जैसे तीन चोटी वाली। जिसे “त्रिवेणी” बोलना सुखद और सरस सा लगता है। वहीं “त्रिजटा” कहना उपहास का विषय बन जाता है। यही वजह है कि त्रिवेणी से समानता के बाद भी किसी का नाम त्रिजटा नहीं पाया जाता। इसी तरह कई अजीबो-गरीब शब्द दूसरी भाषा मे अनुदित होकर आकर्षक बन जाते हैं। जैसे “चमेली” की जगह “जेस्मिन” या “कुकुरमुत्ते'” की जगह “मशरूम।” ऐसे शब्दों की संख्या सैकड़ों नहीं हज़ारों में है। जो फुर्सत में बैठ कर सोचने वाला एक रोचक खेल भी बन सकती है। मेरी तरहः आपके लिए भी। तो सोचिए और कोई नया नमूना मिले तो बताइए भी।