■ राज़_की_बात
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/85b0d10b0cd29b3346ab3e05a37f1255_215aa3c50c3a6ce4da967c0fe772cf9b_600.jpg)
■ राज़_की_बात
साहित्यकार होने के लिए लिखना आवश्यक नहीं। तमाम मूर्धन्य विद्वान औरों से लिखवा कर भी नाम और ईनाम हासिल करते रहे हैं। थोड़ा सा दाम चुका कर। बस एक अदद ओहदे और दौलत के बूते। आजकल यह एक फैशन बन चुका है।
【प्रणय प्रभात】