कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है ।
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
लेखक होने का आदर्श यही होगा कि
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
शराब मुझको पिलाकर तुम,बहकाना चाहते हो
जिंदगी का मुसाफ़िर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*विश्व योग दिवस : 21 जून (मुक्तक)*
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।