जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
*चंद्रशेखर आजाद* *(कुंडलिया)*
आखिर तेरे इस हाल का, असल कौन जिम्मेदार है…
बिना वजह जब हो ख़ुशी, दुवा करे प्रिय नेक।
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
हमारी दुआ है , आगामी नववर्ष में आपके लिए ..
बच्चो की कविता -गधा बड़ा भोला
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं