मेरा कान्हा जो मुझसे जुदा हो गया
"खुद को खुली एक किताब कर"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
इज्जत कितनी देनी है जब ये लिबास तय करता है
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बृद्ध हुआ मन आज अभी, पर यौवन का मधुमास न भूला।
दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25