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7 Feb 2023 · 1 min read

■ एक बहाना मिलने का…

■ दो घूंट ज़िंदगी के…
“चाय” आपसी संबंधों का एक सेतु। आग्रह के साथ पिलाई जाए तो आत्मीयता का पैमाना। घोर मंदी और मंहगाई के दौर में भी सत्कार का एक सहज माध्यम। माना कि कइयों को सूट नहीं करती। मगर, जिन्हें करती है ना, उन्हें कुछ और सूट नहीं करता। आइए, कभी भी। जब पीनी हो तब। यह सोच कर कि, चाय सिर्फ़ बहाना है। उद्देश्य मिलना-मिलाना और कुछ पल साथ बिताना है बस। वो भी सुक़ून के साथ। बिना किसी मतलब के।।
【प्रणय प्रभात】

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