तूं कैसे नज़र अंदाज़ कर देती हों दिखा कर जाना
आप लोग अभी से जानवरों की सही पहचान के लिए
Jo mila nahi wo bhi theek hai.., jo hai mil gaya w
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
*शादी से है जिंदगी, शादी से घर-द्वार (कुंडलिया)*
‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
ज़माना साथ था कल तक तो लगता था अधूरा हूँ।
तुम्हारे दिल में इक आशियाना खरीदा है,
बुंदेली हास्य मुकरियां -राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
"खुद को खुली एक किताब कर"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
संविधान को अपना नाम देने से ज्यादा महान तो उसको बनाने वाले थ