आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में.
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
ये तुझे पा लेने की चाहत ही है।
If you can't defeat your psyche,
*नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो (हिंदी गजल)*
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
शिव का सरासन तोड़ रक्षक हैं बने श्रित मान की।
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है