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20 Jan 2017 · 1 min read

ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त !

ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त !

मगर जान लो ये बात ..
मैं ज़िंदगी के पीछे दौड़ता नहीं
मौत से घबराता नहीं !

ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाने के लिए
बेशुमार सपने भी देखता हूँ
उन सपनों के लिए मेहनत करता हूँ !

मगर वो सपने मेरे है, मेहनत भी मेरी
किसी पर कोई आरोप या ईर्ष्या नहीं
जो साथ आते है, उन्हें स्वीकारता हूँ !

कुछ भी न करने से भला मनचाहा कुछ
करके भी जाऊँगा यही तो ठान ली है हमने
आपको हम पसंद हो न हो, ये हो सकता है !

मगर अपना प्यार, स्नेह, वात्सल्य से
जो कुछ छोड़कर जाऊँगा, तब मैं नहीं
मेरे शब्द होंगे, संवाद होंगे और आप भी !

ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त !

*
|| पंकज त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: कविता
168 Views
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