ग़ज़ल
बिछड़ना
ग़ज़ल
तेरा बिछड़कर जाना मुझे रुलाता है,
रातो की निदियाँ नैनो से भगाता है।
रूह कांप उठती है तन सिहर जाता है,
तेरी यादों का जब पतझड़ मौसम आता है।
मधुबन भी बिखरा बिखरा लगता है,
जब तू मुझसे सनम रूठ जाता है।
मेरी गलियों की राहें अब सुनी सुनी है,
बता सनम अब तेरा किससे नाता है।
मैं तेरे प्यार में बैठी हूँ उदास होकर यहाँ,
तू भी बता दिल को कैसे भरमाता है।
मैं तेरे इंतजार में कई राते गुजार देती हूँ,
तू बता आजकल कहाँ महफ़िल सजाता है।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन