Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2023 · 1 min read

होलिका दहन

निस दिन खेली ,
घर आँगन में,
बचपन से गोदी में,
रंग-ग़ुलाल सी प्यारी बेटी,
बड़ी हुई तो नारी,
जन्म दात्रि बनती एक दिन,
सुत-सुता की देवी माँ,
सहती पीड़ा नारी ही सब,
प्रसव वेदना वह जाने,
कैसे बन गई होलिका माँ,
जल गई समाज में आज,
बुराई तो मिटी नहीं,
मिट गई नारी की आह !
दबा दी गई आवाज,
कैसी है परंपरा,
कैसी की जा रही मूर्खता,
बुराई मिटाई जाती ज्ञान से,
बाबा साहेब के शिक्षा के अधिकार से,
सम्मान मिला जो नारी को,
अपनाओ परंपरा प्यारी यह,
दहन करो बंद प्रतीको का,
आने न पाये हकीकत की बारी,
मार दी जाए बुराई की आड़ में फिर कोई नारी ।

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 27 Views

Books from Buddha Prakash

You may also like:
मेरे जीवन का बस एक ही मूल मंत्र रहा है जो प्राप्त है वही पर्याप्त है। उससे अधिक
मेरे जीवन का बस एक ही मूल मंत्र रहा है...
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हम मुहब्बत कर रहे थे
हम मुहब्बत कर रहे थे
shabina. Naaz
ज़िंदा हो ,ज़िंदगी का कुछ तो सबूत दो।
ज़िंदा हो ,ज़िंदगी का कुछ तो सबूत दो।
Khem Kiran Saini
भारत और मीडिया
भारत और मीडिया
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किछ पन्नाके छै ई जिनगीहमरा हाथमे कलम नइँमेटाैना थमाएल गेल अछ
किछ पन्नाके छै ई जिनगीहमरा हाथमे कलम नइँमेटाैना थमाएल गेल...
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते...
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
ऋतुराज बसंत
ऋतुराज बसंत
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
बात हमको है बतानी तो ध्यान हो !
बात हमको है बतानी तो ध्यान हो !
DrLakshman Jha Parimal
💐अज्ञात के प्रति-133💐
💐अज्ञात के प्रति-133💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपने शून्य पटल से
अपने शून्य पटल से
Rashmi Sanjay
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
उसको उसके घर उतारूंगा मैं अकेला ही घर जाऊंगा
कवि दीपक बवेजा
*भाषण देना काम (हास्य कुंडलिया)*
*भाषण देना काम (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
मनोज कर्ण
हम है वतन के।
हम है वतन के।
Taj Mohammad
अधमरा जीने से
अधमरा जीने से
Dr fauzia Naseem shad
एक दीये की दीवाली
एक दीये की दीवाली
Ranjeet Kumar
"मन"
Dr. Kishan tandon kranti
असंवेदनशीलता
असंवेदनशीलता
Shyam Sundar Subramanian
बंधन
बंधन
सूर्यकांत द्विवेदी
शाम की चाय पर
शाम की चाय पर
Surinder blackpen
आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
Seema Verma
मजदूरीन
मजदूरीन
Shekhar Chandra Mitra
गणतंत्र पर्व
गणतंत्र पर्व
Satish Srijan
वन्दना
वन्दना
पं.आशीष अविरल चतुर्वेदी
समय पर संकल्प करना...
समय पर संकल्प करना...
Manoj Kushwaha PS
■ सियासी नाटक
■ सियासी नाटक
*Author प्रणय प्रभात*
#राम-राम जी..👏👏
#राम-राम जी..👏👏
आर.एस. 'प्रीतम'
कभी किताब से गुज़रे
कभी किताब से गुज़रे
Ranjana Verma
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मोबाइल का आशिक़
मोबाइल का आशिक़
आकाश महेशपुरी
Loading...