Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2023 · 1 min read

हूं बहारों का मौसम

मैं गुलाबों की खुशबू महक जाऊंगा,
हूं झरने का पानी छलक जाऊंगा।
आएगा जब भी बहारों का मौसम,
बन दिल की धड़कन धड़क जाऊंगा।
न आना कभी तुम यहां हुस्न वालों,
हूं आशिक आवारा तड़प जाऊंगा।
ऐसे देखों मुझको अपनी नजरे चुराकर,
तेरी आंखे नशीली मैं बहक जाऊंगा।
सर्द होती है अक्सर वादियों की रातें
हूं आतिश की आग गर सुलग जाऊंगा।
बस हरारत के जैसे मुझे महसूस करना,
आगोश में तेरे मैं जब चिपक जाऊंगा।
@साहित्य गौरव

Language: Hindi
1 Like · 91 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शुभकामना संदेश
शुभकामना संदेश
Rajni kapoor
"लोकतंत्र के मंदिर" में
*Author प्रणय प्रभात*
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
manisha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पूर्बज्ज् का रतिजोगा
पूर्बज्ज् का रतिजोगा
Anil chobisa
नव उल्लास होरी में.....!
नव उल्लास होरी में.....!
Awadhesh Kumar Singh
जिंदगी जीने का सबका अलग सपना
जिंदगी जीने का सबका अलग सपना
कवि दीपक बवेजा
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
Dr fauzia Naseem shad
तुमसे ज्यादा और किसको, यहाँ प्यार हम करेंगे
तुमसे ज्यादा और किसको, यहाँ प्यार हम करेंगे
gurudeenverma198
ना नींद है,ना चैन है,
ना नींद है,ना चैन है,
लक्ष्मी सिंह
टफी कुतिया पे मन आया
टफी कुतिया पे मन आया
Surinder blackpen
जाम पीते हैं थोड़ा कम लेकर।
जाम पीते हैं थोड़ा कम लेकर।
सत्य कुमार प्रेमी
तेरी यादों में लिखी कविताएं, सायरियां कितनी
तेरी यादों में लिखी कविताएं, सायरियां कितनी
Amit Pandey
नशा
नशा
Dr. Kishan tandon kranti
चांद निकला है तुम्हे देखने के लिए
चांद निकला है तुम्हे देखने के लिए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
धरा कठोर भले हो कितनी,
धरा कठोर भले हो कितनी,
Satish Srijan
कैसे अम्बर तक जाओगे
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
जिसे मैं ने चाहा हद से ज्यादा,
जिसे मैं ने चाहा हद से ज्यादा,
Sandeep Mishra
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कड़ियों की लड़ी धीरे-धीरे बिखरने लगती है
कड़ियों की लड़ी धीरे-धीरे बिखरने लगती है
DrLakshman Jha Parimal
"ज़िन्दगी जो दे रही
Saraswati Bajpai
पैसा  (कुंडलिया)*
पैसा (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
उफ़,
उफ़,
Vishal babu (vishu)
सीखने की भूख (Hunger of Learn)
सीखने की भूख (Hunger of Learn)
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
2328.पूर्णिका
2328.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
घुटता है दम
घुटता है दम
Shekhar Chandra Mitra
ऐ जिंदगी....
ऐ जिंदगी....
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
💐अज्ञात के प्रति-113💐
💐अज्ञात के प्रति-113💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जब तक रहेगी ये ज़िन्दगी
जब तक रहेगी ये ज़िन्दगी
Aksharjeet Ingole
Loading...