हिय में मेरे बस गये, दशरथ – सुत श्रीराम
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हिय में मेरे बस गये, दशरथ – सुत श्रीराम
पावन है जिनकी कथा, छवि जिनकी अभिराम,
छवि जिनकी अभिराम, संग में सीता माता
अतुल वीर, बलवान, लखन हैं जिनके भ्राता।
कह ‘प्रहरी’ कविराय, राम की कृपा निराली
छँटता तम घनघोर, सहज फैले उजियाली ।
a m prahari