हिंदी
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हिंदी
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अभिव्यक्ति का माध्यम खासा,
यह न केवल है एक भाषा।
महारानी मस्तक की बिंदी,
वैसे प्यारी अपनी हिंदी।
देवनागरी लिपि में आई है,
संस्कृत की कोख से जायी है।
पढ़ना लिखना भी सस्ता है,
बहु पुष्पों का गुलदस्ता है।
कितनी उपभाषा की डोली,
बृज,अवधी, मैथली की बोली।
हिंदी सुर राग की है झोली,
बाइस बोली की रंगोली।
यह और बात जन भूल गए,
किसी अन्य भाषा संग झूल गए।
सब हैं सुंदर कोई न गंदी,
पर सबमें अति उत्तम हिंदी।
रचना तिथि 14/09/22
सतीश सृजन, लखनऊ.