हाय गरीबी जुल्म न कर
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हाय गरीबी जुल्म न कर
दम घुटने से जाए न मर
भूखे प्यासे भटक रहे
फांसी पर वो लटक रहे
बिखरे सपने हारे हम
फूटी किस्मत आंखे नम
नन्हे बच्चे किलक रहे
लाचारी से विलक रहे
न तन कपड़ा शर्म नही
दुनिया को ये मर्म नही
“कृष्णा” तेरा निकले न दम
ना जाने कब साथ हो हम
✍️कृष्णकांत गुर्जर धनौरा