हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
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हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
देख कर लोग हमें,पत्थर से बना समझने लगे
वक्त के थपेड़ो से लड़कर,जीना ‘क्या;सिख गये
मतलब नहीं रखने को,वो अब बदगुमान कहने लगे
हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
देख कर लोग हमें,पत्थर से बना समझने लगे
वक्त के थपेड़ो से लड़कर,जीना ‘क्या;सिख गये
मतलब नहीं रखने को,वो अब बदगुमान कहने लगे