हम भी अगर बच्चे होते
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खिलौनों से भरे बस्ते होते
हम भी अगर बच्चे होते
शाम को ही सो जाते हम
सुबह को रात लगती कम
खेलते रहते शामों सहर
पाने का ना खोने का डर
मासूम और सच्चे होते
हम भी अगर बच्चे होते
चिंता ना घर गृहस्थी की
खेलकूद जीवन मस्ती की
जिम्मेदारी न लेना देना
मां कहती सोना मोना
ना फिक्र घर कच्चे होते
हम भी अगर बच्चे होते
न कसरत ना ही योग से
ना मतलब रोग निरोग से
खेले कंकड़-पत्थर,मिट्टी से
बीज, पत्ते,चिप्पी, गिट्टी से
मुंह हाथ में भरे गट्टे होते
हम भी अगर बच्चे होते
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित