सामंजस्य हमसे बिठाओगे कैसे
परिमल पंचपदी- नयी विधा
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गीत- उसे सच में नहीं पहचान चाहत और नफ़रत की...
आज, तोला चउबीस साल होगे...
ग़ज़ल(इश्क में घुल गयी वो ,डली ज़िन्दगी --)
ज्यादा खुशी और ज्यादा गम भी इंसान को सही ढंग से जीने नही देत
बड़ी बेरंग है ज़िंदगी बड़ी सुनी सुनी है,
वो ठोकर से गिराना चाहता है
*अच्छा जिसका स्वास्थ्य है, अच्छा उसका हाल (कुंडलिया)*
कृतघ्न व्यक्ति आप के सत्कर्म को अपकर्म में बदलता रहेगा और आप
24/238. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
इतने दिनों के बाद
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
यही समय है, सही समय है, जाओ जाकर वोट करो
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित