हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
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हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
पेड़ के साये,दरख्तों की हवा माँगते हैं
कितने मतलबपरस्त हैं ये ज़ात आदम के
खुद ज़रूरत न हो तो कुछ भी कहाँ माँगते हैं!!
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
पेड़ के साये,दरख्तों की हवा माँगते हैं
कितने मतलबपरस्त हैं ये ज़ात आदम के
खुद ज़रूरत न हो तो कुछ भी कहाँ माँगते हैं!!