” हँसते हँसते , कट गया दिन ” !!
बिछ गयी चादर ,
दरिया किनारे !
होंसलों को देख ,
विहँसे नज़ारे !
चिंतन , मनन ,
विस्मरण हुआ !
अनछुए पहलुओं को ,
हमने छुआ !
एकांत में सरस –
लगे पल छिन !!
मिट गयी थकन ,
विश्राम करते !
फिर नया संबल ,
पा के हरषे !
जतन , कथन ,
अभिनंदन हुआ !
कसमसाते बंधनों में ,
कसकी हया !
नेह की बजी बंसी –
श्वासों की धुन !!
मुस्कराती धरा ,
आसमां लुटता !
प्रेम की गुंजन ,
मन थिरकता !
मगन , ठगन ,
आलिंगन हुआ !
धड़कते दिलों में ,
बहका जिया !
मुस्कानें अधर बसी –
ऐसे किये जतन !!