स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
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स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
दूसरों में ईश्वर को देखना प्रेम है,
ईश्वर को सब में और सब में ईश्वर को देखना ज्ञान है…
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
दूसरों में ईश्वर को देखना प्रेम है,
ईश्वर को सब में और सब में ईश्वर को देखना ज्ञान है…