स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
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स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
पुरुष उसे अपना गुलाम बनाने को हर संभव प्रयास करता है
और करता रहेगा
यही पुरुष की सबसे बड़ी कमजोरी है
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा
स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
पुरुष उसे अपना गुलाम बनाने को हर संभव प्रयास करता है
और करता रहेगा
यही पुरुष की सबसे बड़ी कमजोरी है
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा