सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
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सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
ये बारिश के बून्दे, ये चुस्कियाँ
ये तुम्हारे केश तलों के बीच मुस्कुरा रही!
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
ये बारिश के बून्दे, ये चुस्कियाँ
ये तुम्हारे केश तलों के बीच मुस्कुरा रही!