सौंदर्य मां वसुधा की
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सौंदर्य मां वसुधा की
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मनमोहक मोहनी मां वसुधा की
सौंदर्य भरी रचना प्रकृति माता की
कोमल किसलय नाजुक पाती
अमूल्य घरोहर ऋष्टि कर्त्ता की
ऑख निराली कानों की बाली
माथे बिंदिया चमक सुहागिन नारी
निखरती रंग विरंगे कुसम पिरोये
रंग विरंगे कुसुम पिरोये निखरती
केशों की नंद्यावर्त सी लहर तरंगें
गले सोहे स्वेत मोतियन की हार
स्वर्ण डायमण्ड दूजा लगे बेकार
बेली चमेली जूही चंपा फूल
जूड़े गजरा नयनों की कज़रा
अनल साक्षी लगते फेरे सात
चेहरा नीरखते सेहरे सरताज
मान सम्मान नारी की रक्षा में
लगे रहते सारे जन हिन्दुस्तान
कमल कोमल रक्त रंजित पग
पथ पंखुड़ियों पर चलते द्विपग
झन झन स्वर नूपुर निराले
मन मोहनी नारी घट घट वासी
पड़ पग पथ पर्णी सुकोमल
पीयूष स्त्रोत सी बहती नारी
नग तल स्वेत पग समतल में
कीचड़ कमल खिलाती नारी
घर पूजी जाती वसुधा नारी
सौंदर्य सुंदरता आकर्षक भारी
चंचल चितवन चंदन सी वदन
ओठों पर लाली गाल गुलाबी
सज्जी धज्जी अफ़सरा नारी
सृष्टि संस्कार जग संस्कारी नारी
सौंदर्य भरी न्यारी प्यारी है नारी
जीना पवित्र निर्मल निड़र हो नारी
तेरी रक्षा करती स्वंय दुर्गा काली
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तारकेशवर प्रसाद तरूण