सूरज से मनुहार (ग्रीष्म-गीत)
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अरे ! भाई सूरज
समझ,सोच,गुन ।
अजब तेरी भक्ति,
गजब तेरी शक्ति ।
मगर यार मेरी
जरा टेर सुन ।
अजब तेरी किरणें,
गजब तेज उनमें ।
मगर यार धरती
को ऐंसे न घुन ।
कि सत ताप तेरा,
असत पाप मेरा ।
मगर यार फूलों
में काँटे न बुन ।
तेरे हाथ जीवन,
मेरे हाथ तन-मन ।
मगर मौत उसमें
से अब तू न चुन ।
अरे ! भाई सूरज
समझ,सोच,गुन ।
— ईश्वर दयाल गोस्वामी