सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं

सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं
हर मौसम को संभाल लूंगा मैं
अपना साथ ना खड़ा हुआ तो
किसी का क्या बिगाड़ लूंगा मैं!
कवि दीपक सरल
सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं
हर मौसम को संभाल लूंगा मैं
अपना साथ ना खड़ा हुआ तो
किसी का क्या बिगाड़ लूंगा मैं!
कवि दीपक सरल