सिंहावलोकन घनाक्षरी*
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सिंहावलोकन घनाक्षरी*
जाओगे भाग रण से,याद करो भूतकाल,
राह भी मिलेगी नहीं,फिर पछताओगे।
पछताओगे यों बैठ,अपने कुकर्म पर,
कर सीमा पार जब, भारत में आओगे।
आओगे तो छुपकर,पर हम ढूँढ लेंगे,
काट देंगे बोटी बोटी, बच नहीं पाओगे।
पाओगे मार काट से,जन्नत की हूर कैसे,
मरोगे तो सीधे बस ,नरक ही जाओगे।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय