***** सिंदूरी – किरदार ****
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***** सिंदूरी – किरदार ****
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चाहत मेरी बस है इतनी,
तेरे गले का गलहार बनूँ।
तन-मन की हो सुंदर बगिया,
कंचन काया का शिंगार बनूँ।
प्रिय तेरे ही जीवन पथ का,
संगी – साथी वफादार बनूँ।
मांग अधूरी झट पूरी कर दूं,
तेरे काफ़िले का सरदार बनूँ।
मीठे रस से कड़वापन हर दूँ,
तरुवर मधुरिम फलदार बनूँ।
मनसीरत दो दिन का जीवन,
माथे का सिंदूरी किरदार बनूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)